छायावाद और पं.मुकुटधर पांडेय: डॉ. बलदेव

डॉ. बलदेव एक अत्यन्त अ्रमशील साहित्यकार हैं। वे न उधला लिखते हैं न उथला सोचते हैं, न उथले तथ्यों से संतुष्ट होते हैं । गहरे से गहरे उतरकर सच्चे मोतियों की सच्ची खोज उन्हें सदा से प्रिय रही है, चाहे वह किसी हल्के-फुल्के लेख के लिए ही क्यों न हो । इससे उन्हें कोई विशेष लाभ मिला हो या नहीं, पर साहित्य जगत निश्चित रूप से लाभान्वित हुआ है। पता नहीं कितने अज्ञात प्राय एवं लुप्त प्राय तथ्य उन्होंने भावी पीढ़ियाँ के लिए सुरक्षित कर दिए हैं, कितने ही साहित्यकारों के यश को अमर बना दिया है, किंतने ही नवोदित रचनाकारों को प्रेरणा देकर साहित्य पथारूढ़ किया है, कितनी ही रचनाओं को कराल काल के भीषण जबड़ों से निकाल कर पुनर्जीबन प्रदान किया है और समस्त प्रकार के अभावों से जूझते हुए अनुप्राणिति किया है। लेखक / संपादक के पुत्र के द्वारा कन्‍टेट प्रकाशित करने के लिए कहा गया था उसके उपरांत उन्‍हीं के द्वारा कन्‍टेंट हटाने के अनुरोध पर किताब की पीडीएफ प्रति हटा दी गई है।

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