तेरी गठरी में लागा चोर जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक के.सी. डे

तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा (Teri Gathri me laga chor musafir jag jara) और बाबा मन की आँखें खोल (Baba man ki ankhe khol) जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक के.सी. डे (K C Day) बनाम कृष्ण चंद्र डे (Krishna Chandra Dey) के बारे में दो बातें कही जाती हैं।
कुछ उन्हें जन्मांध मानते हैं और कुछ कहते हैं कि लगातार पतंग उडाने के कारण सूरज की तेज रोशनी ने उनकी आँखों के आगे हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया। दृष्टि खोकर भी के.सी. डे ने संगीत की साधना नहीं छोड़ी। कलकत्ता के करमतुल्ला खाँ, बादल खाँ और यावर खाँ से उन्होंने संगीत की शिक्षा ली। उनके गले की खास मिठास ने उन्हें लोकप्रिय बनाया। अपनी आवाज को उधार देकर उसे आजीविका बनाने की अनोखी मिसाल के.सी. डे हैं। गायन के अलावा उनकी रुचि अभिनय में भी थी। पूरन भगत के गीतों से उन्हें बेहद लोकप्रियता मिली।

सहगल के साथ भी उन्होंने गीत गाए हैं। जाओ-जाओ ए मेरे साधु (jao jao ai mere sadhu) तथा क्या कारण है रोने का (Kya karan hai rone ka) इन गीतों ने उन्हें बेहद लोकप्रिय बनाया। देवदास Devdas, मंजिल Manzil, माया Maya, विद्यापति Vidyapati, धरती माता Darti Mata, आँधी Andhi तथा मीनाक्षी Minakshi फिल्में कलकत्ते में बनी और के.सी. डे की धूम मचीं। वे आजीवन अविवाहित रहे। उनके यादगार गीत हैं- अंधे की लाठी (धूप पनघट पे कन्हैया -विद्यापति) न आया सन का मीत (देवदास) क्या कारण है (पूरन भगत )।


इनके गीत आप सारेगामा में इस कड़ी से सुन सकते हैं। रफी के छत्तीसगढ़ी गीत रफ़ी का कौन सा गीत पहला ? समय से आगे : हृदयनाथ बस्ती-बस्ती पवर्त पवर्त गाता जाए बंजारा : रफी तेरी गठरी में लागा चोर जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक के.सी. डे जहॉं नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना : किशोर कुमार

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