ताइवान की महिलाओं पर नहीं होता उम्र का असर

नई दिल्ली। युवावस्था के बाद बढ़ती उम्र भला किसे पसंद होती है। बच्चे भले ही चाहते हैं कि वे जल्दी बड़े हो जाएं, लेकिन हम जब युवा हो जाते हैं तो प्रौढ़ या वृद्धावस्था नहीं पसंद करते हैं। न केवल महिलाएं, बल्कि पुरुष भी बूढ़ा होना नहीं चाहते हैं। सभी को अपनी उम्र से कम दिखने की चाहत होती है और इसके लिए वो काफी पैसे भी खर्च करते है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक ऐसा भी देश है, जहां की महिलाओं पर बढ़ती उम्र का असर ही नहीं होता है। और भी बहुत सारी खूबियां है इस देश और यहां की संस्कृति की। आइए, जानते हैं इस बारे में विस्तार से…
हम बात कर रहे हैं ताइवान की। यह एक द्वीप है, जो अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का हिस्सा है। ताइवान से एक देश के रूप में विश्व के 17 देशों से ही संबंध रह गए हैं। यह द्वीप अपने आप में कई सामाजिक सांस्कृतियों को समेटे हुए है। ताइवान की आबादी करीब 2.36 करोड़ है। यहां के 70 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। इस देश की महिलाएं खूबसूरत भी होती हैं और लंबे समय तक जवां दिखती हैं। इसके पीछे इनका खानपान या फिर मेकअप कारण नहीं है, बल्कि इनकी खूबसूरती का अलग ही राज है। इस देश में रहने वाली लड़कियां अपने रंग-रूप को लेकर ज्यादा ही सजग रहती हैं। इस कारण वे धूप में ज्यादा बाहर नहीं निकलतीं, क्योंकि इनका ऐसा मानना है कि धूप में निकलने से चेहरा काला और खराब हो जाता है।ताइवान के लोगों का मानना है कि धूप में निकलने से उम्र घट जाती है और इसलिए चाहे कितना भी जरूरी काम क्यों ना हो, लोग धूप में बिलकुल भी नहीं निकलते। यहां के लोग खेलों में भी काफी दिलचस्पी दिखाते हैं और इसलिए भी वो बहुत फिट रहते हैं।हममें से कई लोगों को बारिश में भींगना काफी पसंद करते हैं, लेकिन ताइवान के लोग हमसे देश से उलट, बारिश में भींगना बिल्कुल पसंद नहीं करते। खासकर यहां की महिलाओं को बारिश में भींगने से खास एलर्जी है। एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि यहां के लोग काफी मेहनतकश होते हैं। मेहनत करके लोग पूरे दिन में 10 घंटे काम करते हैं। यहां के लोग कम उम्र में ही धनवान बन जाते हैं। यहां के स्कूलों-कॉलेजों में गणित और विज्ञान पर ज्यादा जोर दिया जाता है। यहां वैसे तो हाई-स्पीड ट्रेन, मेट्रो और बसें भी हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग स्कूटर चलाते हुए दिख जाएंगे। यहां के लोग मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं। जैसे अपने देश में अतिथि देवो भव: की परंपरा है और अतिथि हमारे लिए भगवान की तरह होते हैं, वैसे ही ताइवान के लोगों का भी मानना है।


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