आगरा। अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ने वाले पुत्रों पर कठोर से कठोर सजा हो, वह सभी सुविधाओं से महरूम हो सके, उन्हें नौकरी ना मिले और उनके बच्चे शिक्षा ग्रहण ना कर सके, सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए। यह तीखी प्रतिक्रिया महामंडलेश्वर नवल गिरी महाराज ने सेवा भारती ब्रज प्रांत के सेवा संगम समारोह में कही। शनिवार से हिंदुस्तान कॉलेज फरह में आयोजित दो दिवसीय सेवा संगम समारोह में महामंडलेश्वर नवल गिरी महाराज मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचे थे। इससे पहले महिला सेवा संस्थान द्वारा लगाई गई स्टॉल पर प्रतिभा जिंदल व मुकेश नेचुरल ने तपन ग्रुप के चेयरमैन सुरेशचन्द्र गर्ग का सम्मान किया।
सेवा भारती की ओर से आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान उन्होंने सभी लोगों को संबोधित करते हुए देश में विकराल होती जा रही माता-पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ने की समस्या पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि जो पुत्र अपने माता-पिता का नहीं हुआ। जिन्होंने उसे बचपन से संभाला। मां ने 9 माह कोख में रखा, उसके पिता ने उसके जीवन की रक्षा की। फिर भी वह पुत्र अपने माँ-बाप के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करे तो वह किसका हो सकता है। ऐसे पुत्र को तो कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए।
भारत देश में वृद्ध आश्रम की प्रथा को खत्म करने पर जोर देते हुए महामंडलेश्वर नवल गिरि महाराज ने साफ कहा कि देश की सरकार को इस पर भी एक कानून बनाना चाहिए। अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने की खबर आए दिन दैनिक अखबारों में प्रकाशित हो रही हैं और यह समस्या कैंसर की तरह बन चुकी है।
अगर इस समस्या पर अभी से रोक नहीं लगाई तो विश्व गुरु की ओर बढ़ रहा भारत देश अपने संस्कारों को भुलाए जाने के लिए जाना जाएगा।
नवल गिरि महाराज ने साफ कहा कि ऐसे पुत्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के साथ-साथ उनसे वोट देने का अधिकार छीना चाहिए, सरकारी और प्राइवेट नौकरी नहीं मिलनी चाहिए, उनका पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार ही कर देना चाहिए। ऐसा कानून आने पर ही एक अच्छे और बेहतर समाज की स्थापना हो पाएगी।