रायपुर। दीपावली लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन गौरा गौरी कलश यात्रा धूमधाम से शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक निकाली गई बड़ी संख्या में गौरा गौरी यात्रा में लोग भी शामिल हुए बाजे के धुन में लोग झूमते नजर आए
पंरपरा के अनुसार आदिवासी समाज के लोग तालाब के समीप की कुवांरी मिट्टी से गौरी-गौरा की मूर्तियां बनाते हैं. इसके बाद लोग गाजे-बाजे के साथ गौरी-गौरा की बारात नगर में निकालते हैं.इस पर्व में गांव की महिलाएं, बुजुर्ग, और बच्चे सहित सभी लोग शामिल हुए. कई महिलाओं ने रास्ता रोक कर जमीन पर लेट गईं, जिसके उपर से गौरी-गौरा यात्रा निकली . लोगों में ऐसी मान्यता है कि जिनके शरीर मे कोई रोग व बीमारी होती है ऐसा करने से लोगों के वह कष्ट दुर हो जाते हैं. बाजे के मनमोहक स्वर लोगों को नाचने पर मजबुर कर रहे थे. गाजे-बाजे के साथ पर्व का समापन किया गया. आपको बता दे कि लोग गौरा गौरी यात्रा के दौरान पूजा करने के लिए अपने घरों के सामने चौक पुरकर इंतजार करते रहते हैं वही पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं गौरा गौरी पर्व का विशेष महत्व है बड़ी संख्या में लोग गौरा गौरी पर्व में शामिल होते हैं और भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अर्जी विनती लगाते हैं.
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