समय से आगे : हृदयनाथ

हृदयनाथ मंगेशकर का नाम हिन्दी फिल्मों के शीर्षस्थ संगीतकारों की श्रेणी में फिलहाल नहीं है कितु गैर फिल्मी संगीत रचनाओं के मामले में वे अपनी बड़ी बहन लताजी के साथ ही इतिहास में प्रतिष्ठा के साथ याद किए जाते हैं। गैर फिल्मी संगीत में उनका योगदान स्थाई सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है। लताजी के लगभग सभी गैर फिल्मी एल.पी. रिकॉर्ड्स में धुनें हृदयनाथ की है। 'ध्यानेश्वरी' और 'भगवत गीता', 'मीरा के भजन', 'गालिब की गजलें' 'आदि उनके विख्यात एल.पी. हैं। इसके अतिरिक्त 'कोली लोक गीत', 'वीर सावरकर के देशभक्ति के गीत', 'गणेश महिमा' आदि कई रिकॉर्ड पर प्रस्तुत हुए है।

संगीत निर्देशक के गुण हृदयनाथ को विरासत में मिले थे मगर पिता का साया बचपन में ही उठ गया। अपनी गायिका दीदियों के प्यार में परवरिश पाते हुए हृदयनाथ स्वयं को शास्त्रीय संगीत की दुनिया में डुबोने लगे। विख्यात रिकॉर्डिंग कंपनी एच.एम.वी. ने 1954 में लता का गीत 'निशदिन बरसत नैन हमारे (Nishdin barsat nain hamare)' सिंगल रिकॉर्ड पर जारी किया। इस गीत की धुन शास्त्रीय राग पर आधारित कर हृदयनाथ ने बेहद खूबसूरती से तैयार की थी। इस रचना की मुक्तकंठ से प्रशंसा करने वाले पारसियों में विख्यात सितारवादक पंडित रविशंकर भी शामिल थे।

रविशंकर जी ने ही उन्हें संगीत निर्देशक के रूप में संयमित काम करने की सलाह दी।  हृदयनाथ ने इस सुझाव पर अमल किया और मराठी फिल्मों का संगीत निर्देशन करने लगे। संगीत निर्देशक के रूप में 'आकाश गंगा (Aakash Ganga)' उनकी पहली फिल्म थी। 1957 में बनी इस फिल्म के गीत हिट रहे। इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश किया और 1959 में 'अन्तरिचा दिवा (Antaricha Diwa)' नामक फिल्म का निर्माण किया। निर्मल 'चित्र' बैनर की इस फिल्म को मराठी के विख्यात उपन्यासकार वी.एस. खाडिलकर (V.S.Khadilkar)ने लिखा था।

इसके बाद की कहानी संगीत निर्देशक के रूप में प्राप्त सफलताओं की कहानी रही। संगीत निर्देशक के रूप में वे डेढ दर्जन मराठी फिल्मों से जुडे़ और उनमें से चार को विभिन्न प्रतिष्ठित अवार्ड मिले। हिन्दी फिल्मों में संगीत देने का पहला अवसर उन्हें 1970 में मिला। आदर्श लोक की "हरिशचन्द्र तारामती (Harishvhandra Taramati)' एवं बसंत जोगलेकर की 'प्रार्थना (Prathana)' उनकी दो पहली हिन्दी फिल्में थी। इनको अपेक्षित सफलता नहीं मिली। और अगले एक दशक तक हृदयनाथ हिन्दी फिल्मों से दूर रहे। दस वर्ष के बाद फिर एक साथ दो हिन्दी फिल्मों में वे संगीत निर्देशक के रूप में आए। 'चक्र (Chakra)' नई लहर की कलात्मक फिल्म थी और 'धनवान (Dhanvan)' कमाशियल फिल्म। दोनों ही फिल्में सफल रही। 'धनवान' का होली गीत 'मारो भरकर पिचकारी (Maro bhar bhar kar pichkari)' पीलू राग पर आधारित था। पंजाबी लोकगीत पर आधारित 'बल्ले बल्ले भाई (Balle Balle bhai)' और नृत्यगीत इधर आ भी जा बेहद सफल रहे।

एक संगीत निर्देशक के रूप में हृदयनाथ को शास्त्रीय संगीत की व्यापकता और बहुमुखी संभावनाओं पर अपार विश्वास रहा है। उनका कहना है कि शास्त्रीय संगीत पर आधारित फिल्मी गीत 'सदाबहार' होते हैं। उनकी दोनों दीदियाँ- लताजी एवं आशाजी अपने साक्षात्कारों में खुल कर इस बात को स्वीकार करती हैं कि हृदयनाथ की संगीत रचना समय से आगे है, इसलिए कालातीत की श्रेणी में आती हैं। चालां वाही देस, मीरा के भजनों के इस एल.पी. रिकॉर्ड की अद्भुत कल्पना हृदयनाथ को शिखर सम्मान प्रदान करती है। धरोहर - नई दुनिया फिल्‍मी वार्षिकी : सरगम का सफर रफी के छत्तीसगढ़ी गीत रफ़ी का कौन सा गीत पहला ? समय से आगे : हृदयनाथ बस्ती-बस्ती पवर्त पवर्त गाता जाए बंजारा : रफी तेरी गठरी में लागा चोर जैसे लोकप्रिय गीतों के गायक के.सी. डे जहॉं नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना : किशोर कुमार

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