नदिया चले, चले रे धारा: मन्ना डे

मन्नाडे का फिल्म संगीत और पार्श्व गायन के आँगन में आगमन ऐसे समय हुआ, जब यह विधा घुटनों के बल चलना सीख रही थी। डी.वी. पलुस्कर D.V.Paluskar, कृष्णचंद्र डे Krishna Chandra Dey तथा कुन्दन लाल सहगल Kundan Lal Sahagal की खरल में घुटी आवाज ग्रामोफोन रेकार्ड से निकल कर गली-गली में गूँज रही थी। शास्त्रीय संगीत शास्त्रीय चोला बदल कर सुगम-संगीत पहन रहा था। मन्ना डे की बचपन से अभिलाषा रही थी कि वे संगीत की स्वरलहरियों को जीवन भर का साथी बनाएँ; लेकिन उनके पिता चाहते थे कि बेटा पढ-लिख कर वकील बने। नाम कमाए और दाम भी। मन्ना का पक्ष लिया उन्के चाचा के.सी. डे ने, जो उस समय के मशहूर संगीतकार थे। मन्‍ना डे कालेज में पढते थे, तो एक संगीत प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए उन्हें कॉलेज से चुना गया। अपने चाचा के मना करने पर उन्होंने प्रतियोगिता में जाने से इंकार कर दिया। छात्रों के आग्रह के आगे झुक कर के.सी. डे. ने एक माह की अवधि में मन्ना को ध्रुपद, ख्याल, टप्पा, ठुमरी, गजल, भजन, बाऊल, भटियाली और मॉडर्न बंगाली संगीत में पारंगत बना दिया। प्रतियोगिता में निर्धारित दस पद्धतियों में से मन्ना डे को नौ में प्रथम और मॉडर्न बंगाली पद्धति में द्वितीय इनाम मिले। यह सिलसिला तीन साल तक लगातार चलता रहा। अंत में आयोजकों ने मन्ना डे को चाँदी का तानपुरा भेंट में देकर कहा कि आगे से वे प्रतियोगिता में प्रवेश मिला।
संगीतकार बनने की तमाम योग्यताओं के साथ मन्ना डे ने खेमचंद प्रकाश Khemchand Prakash, अनिल विश्वास Anil Vishwas, के.सी. डे K.C.Day तथा सचिन देव वर्मन Sachin Dev Burman के सहायक के रूप में काम किया। एक दिन बंबई के शिवाजी पार्क स्थित अपने चाचा के घर में मन्ना डे रियाज कर रहे थे। फिल्मकार विजय भट्ट Vijay Bhatt आए। उन्होंने मन्ना डे से अपनी फिल्म रामराज्य में गाने का अनुरोध किया। संगीतकार शंकरराव व्यास Shankar Rao Vyas ने आवाज परीक्षण के बाद उपयुक्त पाया। इस प्रकार मन्ना डे संगीतकार से पार्श्वगायक बन गए। 1943 में निर्मित रामराज्य फिल्म में उन्होंने तीन गीत गाए हैं- चल तू दूर नगरिया तेरी, अजब विधि का लेख किसी से पढा नहीं जाए और त्यागमयी तूं गई तेरी अमर भावना अमर रही। धामिक फिल्म में गीत गाने का यह ठप्पा मन्ना डे पर कुछ इस प्रकार लगा कि उन्हें धामिक-पौराणिक फिल्मों का पार्श्वगायक बना दिया गया। 1943 से 1955 तक मन्ना डे ऐसी ही फिल्मों में गुनगुनाते रहे। उस दौर की प्रभु का घर (1945), विक्रमादित् (1945), श्रवण कुमार (1946), गीत गोविल (1947), जय हनुमान (1948), रामबाश (1948), राम विवाह (1949), संत बाईं (1949), भगवान श्रीकृष्ण तथा रास दर्श (1950) जैसी फिल्मों ने उन्हें धामिक गायक बना दिया।

मन्ना डे की गायकी की असली पहचान सचिन देव बर्मन ने की बॉम्बे टॉकीज की फिल्म (1950) के लिए प्रभु महिमा बखान करने वाल एक गीत गवाना था। सचिन दा की इच्छा के.सी. से गवाने की थी, लेकिन उन दिनों वे कलकत्ता थे। उन्होंने अपने सहायक मन्ना डे को बुलाया और कोशिश करने को कहा। मन्ना डे का मन प्रसन्नता से भर गया, क्योंकि सचिन दा उन्हें मौका दे रहे थे। उन्होंने तन्मय होकर गाया..'ऊपर गगन विशाल नीचे गहरा पाताल।' यह फिल्म और गीत सुपर हिट रहे।
मन्ना डे को 1943 से 1950 तक सफलता मिली। इन सात सालों में उन्होंने अट्ठाईस फिल मे कुल पचास गीत गाए। लगभग हर फिल्म में एक या दो गानों से ज्यादा उनसे नहीं गवाए गए। विक्रमादित्य फिल्म में नौ में से सात गीत उनी 000 गवाए। इसके निर्देशक विजय भट्ट, संगीतकार शंकर राव व्यास और गीतकार रमेश गुप्ता थे। दिलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वारभाटा Dilip Kumar's first film Jwar Bhata पारुल घोष Parul Ghosh के साथ उन्हें भूला भटका पथ का हाँ मन शरण तुम्हारी आया-गाने का अवसर मिला। इस दौर की अधिकांश फिल्मों के संगीतकार शंकर राव व्यास, खेमचंद प्रकाश, बुलो सी रानी, श्याम सुंदर, सचिन देव वर्मन थे। जिन गीतों को रफी Rafi, मुकेश Mukesh, हेमंत Hemant, किशोर Kishor या और कोई गाने को तैयार नहीं होता था, वे मन्ना डे को दे दिए जाते थे। ऐसे गीतों में भजन, संदेशमूलक बातें या कठिन शब्दावली होती थी। इस वजह से वे लोकप्रिय नहीं हो पाते और मन्ना डे की सफलता उनकी ऊँचाइयों से ऊपर नहीं उठ पाती थी। तत्कालीन महिला गायिकाओं में अमीरबाई Amir Bai, जौहरा Johara, राजकुमारी Rajkumari, मीना कपूर Meena Kapoor, शमशाद बेगम Shamshad Begam, नूरजहाँ Noorjahan, सुरैया Suraiya, लता Lata और आशा Asha ने भी अपनी जोडी मन्ना डे के साथ नहीं मिलाई क्योंकि उनकी आवाज की बुलंदगी के सामने अपनी आवाज के दब जाने का खतरा वे नहीं लेना चाहती थीं। 1951 में 'आंदोलन' फिल्म में पहली बार किशोर कुमार और मन्ना डे ने मिलकर गाया- सुबह की पहली किरण तक जिदगी मुश्किल है। लता ने इसी साल राज कपूर Raj Kapoor की फिल्म आवारा Awara में पहली बार मन्ना डे के साथ सुर मिलाए- तेरे बिना आगे ये चाँदनी तू हूँ आ जा। मन्ना डे की गायकी के साथ एक दु:खद पहलू यह रहा कि उनकी आवाज किसी नायक को इतनी 'सूट' नहीं हुई कि नायक-गायक में आकृति और परछाई का रिश्ता कायम हो सके। जैसे राजकपूर के लिए मुकेश, देव आनंद Dev Anand तथा राजेश खन्ना Rajesh Khanna के लिए किशोर कुमार, दिलीप, कुमार के लिए तलत महसूद Talat Mahmood और रफी एक-दूसरे के पर्याय बन गए थे वैसी बात मन्ना डे पर लागू नहीं होती। केवल कॉमेडियन मेहमूद के लिए उन्होंने लगातार हास्य गीत गाए हैं। मेहमूद भी गीतों के बोल और मन्ना डे की लोच भरी आवाजों पर हरकतें करने में कामयाब रहे हैं। नायक का साथ नहीं मिलने से मन्नाडे को फुटकर गीत गाने को मजबूर होना पडा है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी विशिष्ट गायन शैली के बल पर अपनी पहचान तथा अपना स्थान बनाने में सफलता पाई है।
जब लता मंगेशकर Lata Mangeshkar ने मन्ना डे के साथ युगल-गीतों की डोर बाँधी, तो सदाबहार गीत बनकर संगीत के सोते फूटे हैं। ऐसे गीतों में- ऋतु आए ऋतु जाए सखी री (हमदर्द Hamdard), प्यार हुआ इकरार हुआ प्यार से फिर क्यों डरता है दिल Pyar hua ekrar hua pyar se fir kyun darata hai dil (श्री 420), ये रात भीगी-भीगी ये मस्त फिजाएँ Ye rat bhigi bhigi mast havayen (चोरी चोरी Chori chori), जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो Jahan mai jati hun vahin chale aate ho तथा आ जा सनम मधुर चाँदनी में हम Aa ja sanam madhur chandani me ham (चोरी चोरी) जा तो से नहीं बोलूँ कन्हैया (परिवार), ओ चाँद मुस्कुराया ये तारे शरमाए (आखरी दाव), मेरे दिल में है इक बात कह दो भला क्या है (पो. बा. नं. 999) प्रमुखता के साथ उल्लेखनीय हैं। लता के बाद मन्ना डे के साथ लोकप्रिय एवं सदाबहार गीत गाने वाली गायिका गीता रॉय Gita Dutt(दत्त) और आशा भोसले Asha Bhosle रही हैं। गीता दत्त द्वारा दो-तीन धामिक फिल्मों में साथ गाने के बाद बिमल राय Vimal Roy की फिल्म देवदास Devdas(1955) में सचिन देव बर्मन के संगीत से सजे ये दो गीत बहुत लोकप्रिय हुए हैं-आन मिलो आन मिलो श्याम साँवरे तथा साजन की हो गई गोरी। आशा भोसले के साथ फिल्म बूट पालिश (1945) में मन्ना डे और मधुवाला जवेरी Madhubala Jaweri ने मिलकर- ठहर जरा ओ जाने वाले बाबू मिस्टर गोरे-काले को लोगों की जबान पर चढाया था। इसके बाद श्री 420 (1955) में मुड-मुड के न देख मुड-मुड के Mud mud ke na dekh mud mud ke, ये हवा ये नदी का किनारा Ye hava ye nadi ka kinara (घर संसार Ghar Sansar 1958) मेरे जीवन में किरन बन के बिखरने बाले (तलाक 1958) चंदा मामा मेरे द्वार आना (लाजवंती 1958) हम दम से गए हमदम की कसम हमदम न मिला लिए मुकेश उपलब्ध नहीं थे, तो मन्ना डे का सोच-समझकर किया गया उपयोग फिल्म को क्लासिक आधार दे जाता है।
बसंत बहार Basant Bahar (1956) फिल्म में नैन मिले चैन कहाँ Nain mile chain kahan (लता के साथ), 'सुर ना सजे क्या गाऊँ मैं Sur na saje kya ganu mai' और 'भय भंजना वंदना सुन हमारी गीत सदाबहार इसीलिए बन पडे हैं। नौशाद Naushad ने मदर इंडिया Mother India (1957) फिल्म में चुनरिया कटत्ती जाए रे उमरिया घटती जाए रे Chunariya katati jaye re (मंजिल 1960), हम भी अगर बच्चे होते नाम हमारा होता गबलू बबलू Ham bhi agar bachche hote को रेखांकित किया जा सकता है। शंकर-जयकिशन Shankar-Jaikishan को इस बात का श्रेय जातां है कि उन्होंने मन्ना डे की बहुमुखी प्रतिभा को पहचान कर उनका बहुआयामी उपयोग किया। आवारा, श्री 420, बूट पालिश और मेरा नाम जोकर Mera nam Jokar इसके उदाहरण हैं। बूट पालिश (1954) का यह गीत-लप झपक तू आ रे बदरवा-अभिनेता डेविड पर जेलखाने में अद्भुत ढंग से स्वरबद्ध किया गया है। चोरी-चोरी फिल्म में राजकपूर के प्लेबैक के गीत गवा कर मन्ना डे का उपयोग किया था। मन्ना डे से मीठी धुनों में मदन मोहन Madan Mohan ने उम्दा गीत पेश कराए हैं। ओ चाँद मुस्कुराया ये तारे शरमाए (आखरी दाव Akhiri Danv) और कौन आया मेरे मन के द्वारे पायल की झंकार लिए Ye kaun aaya mere man ke dware (देख कबीरा रोया Dekh kabira roya) के उदाहरण पर्याप्त हैं। भजनों के अलावा कुछ कव्वाली Kabbali भी मन्ना डे ने अपने निराले अंदाज में गाकर उन्हें बेहद लोकंप्रिय बनाया है। न तो कारवाँ की तलाश है न हमसफर की तलाश है Na to karvan ki talash hai तथा यह इश्क इश्क है इश्क Ye ishk ishk hai (बरसात की रात Barsat ki rat 1960) आज भी रेडियो से अक्सर बजती रहती है। अपने शास्त्रीय संगीत के प्रशिक्षण को मन्ना डे ने निरर्थक नहीं जाने दिया। उन्होंने सुगम संगीत Sugam Sangeet के चौखट में इस प्रकार गाया है कि औसत श्रोता भी उन्हें याद कर गुनगुनाया करता है। ऐसे गीतों में-बैरन हो गई रैन (जयजयवंती, फिल्म देख कबीरा रोया), हटो काहे को झूठी बनाओ बतियाँ (टप्पा, फिल्म मंजिल), पतझड जैसा जीवन मेरा तम बिन सूनारी (जोगिया, फिल्म हमदर्द), प्रीतम दरस दिखाओ (ललित, चाचा जिंदाबाद) प्रमुख हैं। मन्नाडे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को पवित्र मानते हैं और साधना की तरह उसका अभ्यास करते हैं। पश्चिमी संगीत और उसकी राग-रागनियों Rag-Raginiyon को भी पसंद करते हैं। उनके परंपरावादी श्रोताओं ने जब आओ ट्विस्ट करें Aavo twist karen जैसा गीत सुना, तो अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराई।
कुछ हल्के-फुल्के गीत मन्ना डे की गायकी के बेजोड उदाहरण हैं। उन्हें सुनकर लगता है कि
मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा Meri bhains ko danda kyun mara (पगला कहीं का Pagala kahin ka),  एक चतुर नार करके सिगार Ek chatur nar karke singar (पडोसन Padosan), जोडी हमारी जमेगा कैसे जानी (औलाद), चुनरी संभाल उडी चली जाए रे Chunari samhal gori udi chali jaye re (बहारों के सपने Baharon ke sapane), दो दीवाने दिल के चले हैं देखो मिल के (जौहर मेहमूद Jauhar Mehmood 000 इन गोआ ), फूल गेंदवा न मारो लगत करेंजवा में चोट Ful gendava na maro (दूज का चाँद Duj ka chand), लागी मनवा के बीच कटारी कि मारा गया ब्रह्मचारी (चित्रलेखा Chitralekha), लागा चुनरी में दाग छिपाऊँ कैसे Laga chunari me dag chhipaun kaise (दिल ही तो है Dil hi to hai), ओ कली अनार की न इतना सताओ (छोटी बहन Choti Bahan), मामा हो मामा हो मामा (परवरिश) है।

मन्ना डे ने गैर फिल्मी गीत/भजन के अलावा मगधी, भोजपुरी और बंगला फिल्मों में भी पार्श्वगायन किया है। डॉ. हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachhan की मधुशाला Madhushala को मन्ना डे ने अपने स्वर देकर अमर बनाया है। मन के अंतरतम से निकलने वाली भावनाओं को उन्होंने खरी अभिव्यक्ति दी है। अपने व्यक्तिगत जीवन में मन्ना डे सादगी पसंद हैं। वे अपने को हमेशा संगीत जगत का विद्यार्थी मानते हैं। उनका कहना है कि सीखना लंबी प्रक्रिया है जबकि जिदगी बहुत छोटी होती है। उन्हें शार्ट कट की संस्कृति बिल्कुल पसंद नहीं है। लोकप्रियता के लिए वे साधना का मार्ग छोडना नहीं चाहते। 1968 में राष्ट्रीय पुरस्कार के बाद म.प्र. शासन ने 1987 का लता मंगेशकर पुरस्कार उनके सफलता के मुकुट में मयूरपंख की तरह सजाया है।
मन्ना डे के लोकप्रिय गीत
तू प्यार का सागर है तेरी इक बूंद के प्यासे हम (सीमा/शंकर-जयकिशन )
कौन आया मेरे मन के द्वारे पायल की झंकार लिए (देख कबीरा रोया/ मदनमोहन )
सुर ना सजे क्या गाऊँ मैं (बसंत बहार/शंकर जयकिशन )
ऊपर गगन विशाल नीचे गहरा पाताल (मशाल/सचिन देव बर्मन )
कस्मे वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या (उपकार/कल्याणजी-आनंदजी )
प्यार हुआ इकरार हुआ प्यार से फिर क्यों... (श्री 420/शंकर-जयकिशन )
ऐ मालिक तेरे बंदे हम (दो आँखें बारह हाथ/बसंत देसाई)
ऐ भाई जरा देख के चलो (मेरा नाम जोकर/शंकर-जयकिशन)
लागा चुनरी में दाग छुपऊँ कैसे (दिल ही तो है/रोशन )
ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवाला/सलिल चौधरी)
नदिया चले चले रे धारा ( सफर/कल्याणजी- आनंदजी)
पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई (मेरी सुरत केरी आँखें/सचिन देव बर्मन)
न तो कारवाँ की तलाश है (बऱसात की रात/रोशन)
चले जा रहे हैं मुहब्बत के मारे (किनारे- किनारे/ जयदेव)
लपक झपक तू आरे बदरवा (बूटपालिश/शंकर-जयकिशन )
मेरे दिल में है इक बात (पो.बा. नं. 999/ कल्याणजी- वीरजी)
ओ चाँद मुस्कुराया ये तारे शरमाए (आखरी दाव/मदनमोहन)
रात के राही थक मत जाना (बाबला/सचिन देव बर्मन)
झूमता मौसम समस्त महीना (उजाला/शंकर- जयकिशन)
चंदा मामा मेरे द्वार आना (लाजवंती/सचिन देव बर्मन)
मुस्करा लाडले मुस्करा (जिदगी /जयकिशन)
ऐ मेरी जोहराजबी तुझे मालूम नहीं (वक्त/रवि)
मैं तेरे प्यार में क्या-क्या न बना दिलवर (जिद्दी/सचिन दा)
तुझे सुरज कहूँ या चंदा (एक फूल दो माली/रवि)
तू छुपी है कहाँ में तडपता यहाँ (नवरंग/सी. रामचंद्र)
फिर तुम्हारी याद आई ऐ सनम (रुस्तम सोहराब/सज्जाद हुसैन)
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री (हमदर्द/अनिल विश्वास)
ये रात भीगी-भीगी ये मस्त फिजाएँ (चोरी-चोरी /शंकर-जयकिशन)
http://mylanguages.org/devanagari_romanization.php
Popular Songs of Manna Dey
tu pyaar kaa saagar hai teri ik bund ke pyaase hm (simaa/shanakar-jayakishan )
kaun aayaa mere mn ke dvaare paayl ki jhnkaar lie (dekh kbiraa royaa/ mdnmohn )
sur naa sje kyaa gaaaoon main (bsnt bhaar/shnkr jykishn )
oopr gagan vishaal nike gahraa paataal (mshaal/skin dev burman )
ksme vaade pyaar vfaa sb baaten hain baaton kaa kyaa (upkaar/klyaanji-aanndji )
pyaar huaa ikraar huaa pyaar se fir kyon... (shri 420/shanakr-jayakishan )
ai maalik tere bnde hm (do aankhen baarh haath/basant daai)
ai bhaai jraa dekh ke klo (maa naam jokr/shankar-jayakishan)
laagaaa kunri men daaga chupoon kaise (dil hi to hai/roshan )
ai mere pyaare vtn (kaabulivaalaa/salil kaudhri)
ndiyaa kle kle re dhaaraa ( safar/klyaanji- aanndji)
pucho n kaise mainne rain bitaai (meri surt keri aankhen/sachin dev burman)
n to kaarvaan ki tlaash hai (brsaat ki raat/roshan)
kle jaa rhe hain muhbbt ke maare (kinaare- kinaare/ jayadev)
lpk jhpk tu aare bdrvaa (butpaalish/shnkr-jayakishan )
mere dil men hai ik baat (po.baa. nn. 999/ klyaanji- viraji)
o kaand muskuraayaa ye taare shrmaae (aakhri daav/madanmohn)
raat ke raahi thk mt jaanaa (baablaa/schin dev burmn)
jhumtaa mausm smst mhinaa (ujaalaa/shnkr- jayakishan)
kndaa maamaa mere dvaar aanaa (laajvnti/schin dev burmn)
muskraa laadle muskraa (jidgai /jayakishan)
ai meri johraajbi tujhe maalum nhin (vkt/ravi)
main tere pyaar men kyaa-kyaa n bnaa dilvr (jiddi/sachin daa)
tujhe surj khun yaa kndaa (ek ful do maali/ravi)
tu chupi hai khaan men tdaptaa yhaan (nvrnga/shri raamchndra)
fir tumhaari yaad aai ai sanam (rustm sohraab/sjjaad husain)
ritu aae ritu jaae skhi ri (hmdrd/anil vishvaas)
ye raat bhigai-bhigai ye mast fijaaen (kori-kori /shankar-jaykishan)
सरगम का सफर : नई दुनिया विशेषांक सेे साभार

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