बडे अरमानों से रखा है बलम...

केदार शर्मा द्वारा निमित 'नेकी और बदी' (1949) में रोशन ने पहली बार संगीत दिया था। बावरे नैन' (1950) फिल्म के गाने बहुत ही लोकप्रिय हुए और तभी से लोग रोशन की प्रतिभा को मानने लगे। उन्होंने मुकेश, शमशाद, राजकुमारी और रफी की प्रतिभा का अच्छा उपयोग किया। मुकेश का गीत तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं' सर्वश्रेष्ठ था।

गीता और मुकेश का युगल गीत 'खयालों में किसी के' अपने शब्द और धुन के कारण लुभावना बन पडा था। 1951 में उन्होंने रंजीत की बिदर्दी में संगीत दिया। उसी साल मल्हार और 'हमलोग' फिल्में आई जिसमें साए चला जा (कोरस) तथा लता का 'चली जा चली जा', 'बहे अँखियों से धार' और लता- मुकेश का युगल गीत 'कहाँ हो
तुम आवाज दो, और 'बडे अरमानों से रखा है' ये सभी गीत बहुत मधुर थे। यहीं से हिंदी फिल्म संगीत का माधुर्य-युग शुरू हुआ। सन् 1951 में रोशन की एक साथ पाँच फिल्में आईं- अनहोनी, नौ बहार, रागरंग,शीशम
और संस्कार।

अनहोनी में प्रथम बार उन्होंने तलत को लिया और उसका बहुत अच्छा परिणाम हुआ। 'मैं दिल हूँ एक अरमान भरा' बहुत लोकप्रिय हुआ। 'नौ बहार' में 'ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी' यादगार गीत है। 'शीशम' में फिर मुकेश के श्रेष्ठ
गीत सुनने को मिले। 1957 में 'कॉफी हाउस' में गीता दत्त ने दो क्लब गीत आए। 1960 में रोशन ने 'बरसात की रात' में उत्तम कब्वालियाँ दीं। 'ताजमहल', चित्रलेखा(1965) नई उमर की नई फसल', 'ममता',
'बहु बेगम' तथा अनोखी रात' उनकी उल्लेखनीय फिल्में थीं। '

रोशन का जन्म पंजाब के गुजराँवाला जिले में भटिया नामक गाँव में 14 जुलाई 1917 को हुआ था। लखनऊ में उन्होंने संगीत का प्रशिक्षण लिया। उस्ताद अलाउद्दीन खान से सांरगी वादन सीखा। आकाशवाणी में उन्होंने दस साल नौकरी की। वे दिलरुबा बहुत अच्छा बजाते थे। 1948 में वे बंबई आए और उन्होंने केदार शर्मा से मिलकर फिल्म जगत में प्रवेश किया। 16 नवंबर 1967 को अचानक हुए उनके निधन से हमने एक सहान संगीतकार खो दिया। उनके पुत्र राजेश रोशन आजकल फिल्मों में संगीत देते हैं।

उनकी प्रमुख फिल्में: बावरे नैन (1950), बेदर्दी, मल्हार, 'हम लोग (1951), अनहोनी, 'नौ बहार, 'रागरंग 'शीशम' और 'संसार (1952), 'आगोश', 'माशूका'(1953), 'चाँदनी चौक (1954), 'घर-घर में दिवाली, 'छोरा-छोरी (1955),'रंगीन रातें (1956), 'आग्रा रोड', 'कॉफी हाउस, 'दो रोटी. अजी बस शुक्रिया (1957), मैंने जीना सीख लिया', सी.आई.डी. गर्ल', हीरा मोती' (1959), बरसात की रात', बाबर (1960), 'आरती, सूरत और सीरत (1962), 'दिल ही तो है। और ताजमहल (1963),चिवलेखा, दूज का चाँद (1964)'भीगी रात', 'नई उसर की नई
फसल (1965 दादी माँ,, . देनार; समता (1966), बहू वेगम', नूरजहाँ" (1967), अनोखी रात' (1968)।
baavre nain (1950), bedrdi, mlhaar, 'hm loga (1951), anhoni, 'nau bhaar, 'raagarnga 'shishm' aur 'snsaar (1952), 'aagaosh', 'maashukaa'(1953), 'kaandni kauk (1954), 'ghr-ghr men divaali, 'choraa-chori (1955),'rngain raaten (1956), 'aagaraa rod', 'kofi haaus, 'do roti. aji bs shukriyaa (1957), mainne jinaa sikh liyaa', si.aai.di. garl', hiraa moti' (1959), brsaat ki raat', baabr (1960), 'aarti, surt aur sirt (1962), 'dil
hi to hai. aur taajmhl (1963),kivlekhaa, duj kaa kaand (1964)'bhigai raat', 'ni usr ki ni
fsl (1965 daadi maan,, . daar; smtaa (1966), bhu vam', nurjhaan" (1967), anokhi raat' (1968).

Post a Comment