1890 के दशक में रायपुर के तालाब और निवासी

1890 के दशक में भारत भ्रमण पर निकले एक यात्री ने छत्तीसगढ़ के अपने यात्रा के विवरण में लिखा है कि रायपुर में जब वह आया तब उसे रायपुर के चारों ओर तालाब दिखे। बीच बस्ती में एक पुराना जर्जर किला भी दिखा। उसने उस किताब में लिखा है कि वह किला 1460 ईस्वी में राजा भुवनेश्वर सिंह ने बनवाया था। उसे किले के बाहर लगभग 1 मील लंबा जीर्ण परकोटा भी दिखा था। किले के पूर्व में घना जंगल और बूढ़ा तालाब का भी उन्होंने उल्लेख किया है जिसका निर्माण भी भूनेश्‍वर सिंह के द्वारा कराया बताया गया है। बूढ़ा तालाब तब एक मील लम्‍बा हुआ करता था, तालाब को उसके यात्रा के कुछ समय पहले ही छोटा करना बताया गया है।

किले के दक्षिण भाग में आधा मील में फैला महाराजा तालाब का उल्लेख है। तालाब के बांध के निकट श्री रामचंद्र जी का मंदिर का उल्लेख किया गया है, जिसको सन 1775 में रायपुर के राजा भीमा जी भोसले ने बनवाया था। कस्बे के उत्तर में लगभग 200 वर्ष पुराना अम्‍बा तालाब (शायद यह आमा तालाब है) का उल्लेख भी उस पुस्तक में है, जिसका निर्माण एक तेली सौदागर ने बनवाया था। ऐसा उल्लेख है कि लगभग सन 1850 में रायपुर के शोभाराम महाजन के खर्च से उसका संधारण किया गया था। उसके तीनों तटों पर पत्थर की सीढ़ियां बनाई गई थी।

शोभाराम के पिता दीनानाथ ने लगभग 1835 ईस्वी में तेली बांधा बनवाया था, जिसके एक तट में पत्थर का काम है। कस्बे से 1 मील पश्चिम राजा बरियार सिंह के समय का बना हुआ लगभग 200 वर्ष पुराना राजातालाब है। रायपुर के पास ही लगभग 60 वर्ष पूर्व निर्मित कोको तालाब का भी उल्लेख किया गया है।

रायपुर जिले के 1881 के जनगणना के अनुसार उसने 2,61,791 गोंड़, 2,48,429 हरिजन, 2,03,503 तेली, 1,41,963 अहीर, 58,293 कुर्मी, 50,923 केवट, 35,729 गंडा, 35,093 मरार, 31,651 पनका, 29,333 कंवर, 26,796 मेहरा, 20,307 कलार, 20,261 ब्राह्मण, 9,393 राजपूत, 827 क्रिश्‍चन और 513 जैन का भी उल्‍लेख किया है। पुस्‍तक का नाम - भारत भ्रमण चतुर्थ खण्‍ड, लेखक बाबू साधुचरण प्रसाद, प्रकाशक खेमराज श्रीकृष्‍णदास, श्रीवेन्‍कटेश्‍वर, स्‍ट्रीम प्रेस, मुम्‍बई.

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